Sun Temples

सूर्य मंदिर अर्थात Sun Temple! जब मिस्र सभ्यता के प्रमुख देवता थे – ‘रा‘ – अर्थान सूर्य भगवान्, जिन्हें मिस्र का प्रथम राजा भी माना जाता था । मेसोपोटामिया में भी सूर्यदेवता को ‘शमाव’ के नाम से जाना जाता था । यूनान सभ्यता में तो दो सूर्य देवता थे – एक अपोलो तथा दुसरे हेलियोस । इसी प्रकार प्राचीन रोम, पेरू, चीन, इत्यादि सभ्यताओं में भी सूर्य को सर्वोपरि स्थान प्राप्त था और भारतीय संस्कृति में तो सूर्य को जीवन का, आकाश का, ज्योतिष का, तथा आयुर्वेद का केन्द्र माना गया है । वैदिक काल से सूर्य की आराधना की जा रही है । इसलिए आश्चर्य नहीं कि भारत में कई प्राचीन तथा नवीन सूर्य मंदिर के दर्शन किये जा सकते हैं ।

 

 

आइये, हम भी कुछ सूर्य मंदिरों का भ्रमण कर लें ।

1. कोणार्क सूर्य मंदिर – Konark Sun Temple:

भारत का बहुचर्चित तथा अति विशाल सूर्य मंदिर यही १३ वीं शताब्दी का कोणार्क मंदिर है । कोणार्क पूरी से करीब २० – २२ किलोमीटर दूर है। ‘कोणार्क‘ का अर्थ है ‘कोने का अर्क‘, अर्थात ‘कोने का सूर्य‘। इसे राजा नरसिंहदेव ने बनवाया था । काले रंग के ग्रेनाइट का बने होने के कारण इसे ‘काला पागोडा’ भी कहा जाता है । यहाँ पर सूर्य देवता अश्वों द्वारा खींचे जाने वाले रथ पर सवार हैं । माना जाता है कि श्री कृष्ण के पुत्र साम्बा ने कुष्ट रोग से मुक्ति पाने के लिए इसी स्थान पर १२ वर्षों तक सूर्य आराधना की थी । मुख्य मंदिर एक चबूतरे पर खड़ा है, जिसके दोनों तरफ १२ चाक हैं, जो सूर्य-घड़ी का काम करते हैं ।

 

मंदिर के निकट है वह पवित्र स्थान है जहाँ साम्बा को कुष्ट रोग से मुक्ति मिली थी। माघ मास के शुक्ल पक्ष में यहाँ ‘माघ सप्तमी मेला’ भी लगता है। इसी स्थान पर नवग्रह पूजा भी की जाती है । परन्तु खेद की बात है कि सूर्य देवता की मुख्य मूर्ति जिस पर कभी सुबह की पहली किरण सीधी पड़ा करती थी, वह आज नदारद है । इसे पोर्तगाल के कुछ नाविक कई वर्षों पहले अपने साथ ले गए । फिर भी इस मंदिर की छटा देखते ही बनती है ।

2. दक्षिणार्क मंदिर तथा देओ सूर्य मंदिर, बिहार – Dakshinaarka Sun Temple:

 

गया एक समय मगध राज्य का भाग था, जहां सूर्य पूजन अति प्रचलित था । गया प्रांत में सूर्य मूर्तियां बहुतायत में प्राप्त हुई हैं । माना जाता है कि मध्य एशिया से आने वाले अग्नि उपासकों की ही ये देन है । वस्तुतः यहां की आदित्य देवता की ग्रेनाइट की मूर्ति का रूप भी अनोखा है । यहाँ के सूर्य देवता जाकेट पहने, कमरबंद लगाए और ऊँचे बूट पहने हुए हैं ।

 

वैसे मंदिर तो बहुत प्राचीन है, परन्तु इसके वर्त्तमान स्वरूप को दक्षिण भात में वारंगल के लहराजा प्रतापरुद्र ने १३ वीं शताब्दी में बनवाया था । मंदिर के पूर्व में एक सूर्य कुंड भी है । मंदिर के निकट ही विष्णुपाद मंदिर भी है जहां पर श्री विष्णु के पद चिन्ह प्रकट है । पितृपक्ष तथा छठ के अवसर पर यहां काफी भीड़ उमड़ती है, गया में ही सूर्य देवता के दो अन्य मंदिर भी हैं – एक उत्तरा मानस के निकट उत्तरार्क मंदिर तथा फाल्गुन नदी के निकट गयादित्य मंदिर।

 

इसके अलावा बिहार में ही औरंगाबाद के देओ में भी बहुत ही रमणीय सूर्य मंदिर है तथा निकट ही दो कुण्ड भी हैं – सूर्य कुण्ड और रूद्र कुण्ड।

3. ब्रह्मण्य देव मंदिर, मध्य प्रदेश – Brahmanya Sun Temple :

 

ब्रह्मण्य देव मंदिर ऊनाउँ में है ।  यह मंदिर ‘ब्रह्म्जू बालाजी सूर्य मंदिर’ के नाम से भी प्रसिद्ध है । इसे बालाजी धाम भी कहते है ! इस मन्दिर को बने २००० सै अधिक वर्ष हो चुके हैं । इस मंदिर में सूर्य देवता एक काले चबूतरे पर खड़े हैं । मूर्ति पर पीतल का आवरण चढ़ाया गया है । पेशवा गण इस मंदिर के उपासक थे ।

 

दूर-दूर से भक्तजन यहाँ आते हैं । कहते हैं कि पिछले ५६ वर्षों में यहाँ आनेवाले श्रधालु यहाँ इतना घी चढ़ाया जा चुके हैं कि यहाँ इस चढ़ावे में चढ़ाए जानेवाले घी को रखने हेतु कुओं का निर्माण करवाना पड़ा ! आज यहां घी के एक या दो कुँए नहीं बल्कि पूरे नौं कुएं हैं !स्थानीय मान्यता है कि यहाँ सूर्य दर्शन करने तथा निकट के पवित्र कुंड में स्नान करने से त्वचा के सभी विकारों से छुटकारा मिलता है ।अंधेपन और कुष्ठ रोग और अन्य त्वचा रोगों जैसी बीमारियों से भी राहत मिलती है।

 

 

4. मोधेरा सूर्य मंदिर, गुजरात- Modhera Sun Temple:

 

सूर्य देव के इस मंदिर की स्थापना ११वीं शताब्दी में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव ने की थी ! यहां के सूर्य मंदिर के सामने ही सूर्य कुंड है, जिसे ‘राम कुंड’ भी कहा जाता है । कुंड तक पहुँचाने वाली सीढ़ियों पर भी अनूठी व सूंदर नकाशी की गयी है । इस मंदिर के शिखर तो आज नहीं रहें, और न ही यहां आज पूजा-अर्चना की जाती है।

 

इस सूर्य मन्दिर को गुजरात का खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस मन्दिर की शिलाओं पर भी खजुराहो जैसी ही नक़्क़ाशीदार अनेक शिल्प कलाएँ मौजूद हैं। गुजरात के पर्यटन निगम के द्वारा जनवरी के तीसरे सप्ताह में उत्तरायण त्यौहार के बाद मंदिर में ‘उत्तरार्ध महोत्सव’ मनाया जाता है ।

 

 

 

5. श्री सूर्य पहाड़ मंदिर, असम – Shri Surya Pahar, Assam:

 

असम में में ब्रह्मपुत्र के तट पर गोलपारा के निकट सूर्य पहाड़ पर यह सूर्य मंदिर स्थित है । इस मंदिर की विशेषता यह है कि एक सुन्दर गोलाकार पाषाण की प्रतिमा जिसके बीचोबीच ऋषि कश्यप विराजमान हैं और उनके चरों तरफ बारह आदित्य बैठें हैं । इस मन्दिर मे सूर्य देव के अतिरिक्त नौ शिवलिंग भी है।

 

कालिका पुराण की अनुसार ‘सूर्य देवता’ का यह स्थायी निवास स्थान है । माना जाता है कि एक समय पर यहाँ ९९,९९९ शिव लिंग हुआ करते थे । सूर्य पहाड़ की तलहटी में अनेक पाषाण की शिवलिंग वहां की सुंदरता को बढ़ाते हैं।

 

 

 

6. सूर्यनारायण मंदिर, अरसावल्ली, आंध्र प्रदेश – Sun Temple of Andhra Pradesh:

यह पवित्र स्थल आंध्र प्रदेश के अरसावल्ली गाँव से १ किमी पूर्व दिशा में श्रीकाकुलम जिले में स्थित है । पद्म पुराण की अनुसार स्वयं ऋषि कश्यप ने सूर्य देवता की प्रतिमा यहीं स्थापित की थी । इसलिए सूर्य को कश्यप गोत्र का माना जाता है । यहाँ पर सूर्य की प्रतिमा ५ फीट ऊँची है तथा उनके शीर्ष पर आदि शेष नाग की फैले फन मुकुट  समान विराजमान है । इस मंदिर में सूर्य देवता, उषा तथा छाया, अपनी दोनों पत्नियों के साथ उपस्थित हैं । देश में यह एकमात्र सूर्य मंदिर हैं जहाँ आज भी विधिवत पूजा अर्चना होती है । इस अंदिर के प्रांगण में शिव मंदिर, विनायक स्वामी मंदिर, काल भैरव मंदिर और दुर्गा महालक्ष्मी मंदिर भी हैं । 

 

मान्यता है कि इस मंदिर में लगातार ४३ दिनों तक सूर्य नमस्कार करने तथा पास के पुष्करिणी कुण्ड में स्नान करने से नेत्र रोग तथा चर्म रोग ठीक हो जाते हैं । इस मंदिर की एक और विशेषता है । वर्ष में दो बार – फरवरी और जून के महीनों में – पांचों द्वार बंद होने के बावजूद सूर्य के किरणें मंदिर में रखी सूर्य प्रतिमा के चरणों तक कुछ क्षणों के लिए पहुंचकर नमन करती हैं ।

 

7. सूर्यनार कोविल, तमिल नाडु – Sun Temple of Tamil Nadu:

 

यह प्राचीन मंदिर तमिलनाडु में कुम्भकोणम के निकट स्थित है । इस मंदिर का निर्माण चोला शासकों ने दसवीं सदी में करवाया था । यह मंदिर पश्चिम मुखी है । सूर्य नारायण की प्रतिमा के अलावा यहाँ कशी विश्वनाथ, विशालाक्षी, गुरु बृहस्पति की भी मूर्तियां हैं । सूर्य देवता के साथ उनकी पत्नियां उषा और छाया तथा अन्य आठ ग्रह भी उपस्थित हैं ।

 

रथ सप्तमी, कार्तिक मास तथा विजयादशमी के अवसर पर इस मंदिर में विशेष भीड़ उमड़ती है. जनवरी-फरवरी में यहाँ पर दस दिवसीय रथ सप्तमी का बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार मनाया जाता है . यह उत्तरायण के आरम्भ का पर्व होता है । यहाँ पुरे मंदिर परिसर की प्रदक्षिणा करने की भी प्रथा है । निकट ही तिरुमन्गलक्कड़ी है, जहाँ पर १२०० वर प्राचीन शिव की प्रतिमाएं विराजमान हैं ।

इन सात प्रसिद्ध मंदिरों के अलावा भारत में अन्य सूर्य मंदिर भी हैं जैसे:

 

  • कश्मीर में अनंतनाग के निकट मार्तण्ड सूर्य मंदिर, जो ८४ खम्बों पर खड़ा है अनुर जिसे सुरवंशी राजा ललितादित्य ने बनवाया था । आज यह मंदिर जर्जर हालत में है; फिर भी पर्यटकों के लिए विशेष रूचि का स्थान है । (नीचे देखिये)

 

 

  • हिमाचल में अल्मोड़ा के निकट कटारमल सूर्य मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है. मंदिर का परिसर करीब ८०० साल पुराना है, जबकि मुख्य मंदिर ४५ छोटे-छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है। (नीचे देखिये)

 

  • ओडिशा के भद्रा के निकट पालिया ग्राम का बीरांची नारायण सूर्य मंदिर है । यह मंदिर बिरांची-नारायण को समर्पित है, जो स्थूल रूप से सूर्य के चार-मुखों वाली छवि के रूप में निहित है। उदयपुर के निकट रणकपुर का सूर्य नारायण मंदिर जिसे नाजुक आलंकारिक काम के साथ नागारा शैली में सफेद चूने का पत्थर में बनाया गया है ।

 

  • ग्वालियर के मुरार क्षेत्र में स्थित नवनिर्मित सूर्य मंदिर कोणार्क (उड़ीसा) के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर की प्रतिकृति है।

 

  • गुजरात के वेरावल के निकट सोमनाथ पाटन सूर्य मंदिर जो त्रिवेणी संगम के निकट स्थित है ।

 

  • रांची से ३९ किलोमीटर की दूरी पर बुंडू के समीप स्थित संगमरमर का सूर्य मंदिर है । इस मंदिर का निर्माण १८ पहियों और ७ घोड़ों के रथ पर विद्यमान भगवान सूर्य के रूप में किया गया है । (नीचे देखिये)

 

 

  • बिहार के नालन्दा जिले के औंगारी में स्थित भी तीसरी शताब्दी ई पू में निर्मित सूर्य मन्दिर बिहार की कला एवं संस्कृति का द्योतक है ।

भारत के इन प्रसिद्ध मंदिरों के अलावा विश्व में अन्य सूर्य मंदिर भी हैं जैसे:

  • पाकिस्तान में मुल्तान का सूर्य मंदिर जिसे श्रीकृष्ण के पुत्र साम्बा ने चंद्रभागा के तीर पर बनाया था ।

 

  • बुल्गारिया के व्रतसे शहर के पास ८००० वर्ष पुराना सूर्य मंदिर पाया गया है ।

 

  • मिस्र में कर्नाक सूर्य मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है जिन्हें वे ‘रा‘ के नाम से पूजते थे । (नीचे देखिये)

 

Karnak sun temple egypt

 

  •  कनाडा के दक्षिण अल्बर्टा में स्थित है विशाल खुले मैदान का सूर्य मंदिर जो ५००० वर्ष पुराना कैलेंडर दर्शाता है ।

 

  • पेरू में माचू पिचू का सूर्य मंदिर तो जग प्रसिद्ध है ।

 

  • चीन के बीजिंग में सूर्य का मंदिर हुआ करता था जिसे करीब ५२५ वर्ष पूर्व मिंग राजवंश के जियाजिंग सम्राट ने बनवाया था । यह मंदिर आज एक सार्वजनिक पार्क का हिस्सा है। (नीचे देखिये)

 

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